- 29 Posts
- 1765 Comments
मैं तो हर रोज नए चेहरे लगा लेती हूं
दिल पे पाबंदियां और पहरे लगा लेती हूं।
एक चेहरा है जो झूमता है, गाता है
जिंदगी में हर कदम पे कहकहे लगाता है।
एक चेहरा हर दम उदास रहा करता है
जिंदगी में हर गम चुपचाप सहा करता है।
एक चेहरा सिर्फ ख्वाब देखा करता है
कांटे नहीं सिर्फ गुलाब देखा करता है।
एक चेहरा हकीकत की खबर रखता है
गुलों के साथ कांटों पे भी नजर रखता है।
एक चेहरा जिसे संस्कारों ने पाला है
उस के इर्द गिर्द आदर्शों का जाला है।
उसूलों और ईमान की बातें किया करता है
हर वक्त ज्ञान की बातें किया करता है ।
विद्रोह पनपता है एक चेहरे में
एक आग सुलगती है कहीं गहरे में।
जो सारी परंपराओं को तोडना चाहती है
हवाओं का रुख मोडना चाहती है ।
यदि इनमें से कोई चेहरा तुम्हें भाया है
तो वो मैं नहीं , मेरा साया है।
(यह कविता मुझे लगभग 25 साल पहले सरस्वती तिवारी नामक लडकी ने दी थी)
Read Comments